Health Insurance : हेल्थ इंश्योरेंस की जरूरत को लेकर भारत में कोरोना काल के बाद से खासी जागरूकता बढ़ी है। वेल्थ प्रोटेक्शन के लिहाज से भी लोग अब हेल्थ बीमा कराने में रुचि दिखा रहे हैं। बेकाबू रफ्तार से बढ़ रहे मेडिकल इन्फलेशन और रोज आने वाली खतरनाक बीमारियों ने अस्पताली इलाज को बहुत महंगा कर दिया है। रिपोर्ट बताती हैं कि फाइनेंशियल इयर 2020-2021 में भारत में हेल्थ बीमा प्लान की फुटकर बिक्री में करीब 29 प्रतिशत की बढ़ोतरी देखी गई थी। जो अब 2021-22 में करीब 26 प्रतिशत के आसपास रही।
1 अरब 50 लाख की आबादी वाले भारत में अब भी करोड़ों लोगों के पास स्वास्थ्य बीमा का कवरेज नहीं हैं। देखा गया है कि अब भी 40 साल से अधिक आयु वर्ग के लोग ही हेल्थ इंश्योरेंस कराने में आगे रहते हैं। वो भी इसलिए कि 40 पार कर चुके मिडिल एज के लोगों में डायबिटिज, बीपी, मोटापा संबंधी शारिरिक रोगों का खतरा अधिक रहता है। साथ ही उन्हें यह एहसास रहता है कि उन्हें मेडिकल इमरजेंसी की कभी भी जरूरत पड़ सकती है।
कोरोना की दूसरी लहर में जान गंवाने लोगों में सर्वाधिक संख्या युवाओं की ही रही। इसलिए भागदौड़, तनाव और आलस्य से उपजी खराब जीवनशैली लोगों को युवावस्था में ही बीमार बना रही है। ऐसे में युवाओं को कम उम्र में ही अपना हेल्थ इंश्यारेंस करवा लेना चाहिए। कम उम्र में हेल्थ पॉलिसी लेने के बहुत फायदे हैं। आइये इन्हीं फायदों से आपको रूबरू कराते हैं।
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कम प्रीमियम में ज्यादा लाभ
अगर 25 साल से कम उम्र में अपने लिए हेल्थ इंश्योरेंस प्लान खरीदते हैं तो आपका कम प्रीमियम लगेगा। यदि आपके माता-पिता ने पहले से ही खुद का हेल्थ इंश्योरेस का कवर ले रखा है तो युवा पुत्र-पुत्रियां खुद के लिए 5 लाख रुपये के सम एश्योर्ड का इंडविजिउल हेल्थ पॉलिसी ले सकते हैं।
स्वास्थ्य बीमा पॉलिसी का सालाना प्रीमियम इंश्योरेंस लेने वाले सदस्यों की आयु के मुताबिक तय किया जाता है। उसमें भी सबसे उम्र दराज सदस्य के हिसाब से प्रीमियम की गणना की जाती है। आमतौर पर फैमिली फ्लोटर पालिसी सस्ती पड़ती हैं। इसमें दो वयस्क और दो से तीन बच्चों को हेल्थ कवर दिया जाता है। लेकिन अगर सबसे बड़े सदस्य को पहले से कोई बीमारियां हो तो प्रीमियम मूल्य में इजाफा हो जाता है। ऐसी स्थिति में फैमिली फ्लोटर हेल्थ इंश्योरेंस प्लान का प्रीमियम थोड़ा महंगा हो जाता है।
यदि परिवार के वरिष्ठ सदस्यों जैसे माता-पिता को कोई पुरानी बीमारी है तो उनके लिए अलग और पूर्ण रूप से सेहतमंद वयस्क बच्चों को अलग से स्वास्थ्य बीमा लेना फायदेमंद रहता है।
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आसानी से गुजरेगा वेटिंग पीरियड
हेल्थ इंश्योरेंस में वेटिंग पीरियड या प्रतीक्षा अवधि को समझे बिना पॉलिसी नहीं लेनी चाहिए। वेटिंग पीरियड वह समय होता है जिस दौरान बीमाधारक सदस्य पुरानी सर्जरी, प्री-एग्जिस्टिंग मेडिकल कंडीशंस और डिजीज के कारण स्वाथ्य बीमा के लिए कंपनी से क्लेम नहीं कर सकता है। आमतौर पर 3 से 4 साल का वेटिंग पीरियड सभी तरह की बीमा पॉलिसी में रहता है।
यदि कोई व्यक्ति पुरानी बीमारियों- सर्जरी के साथ हेल्थ पॉलिसी कम से कम वेटिंग पीरियड के साथ लेना चाहता है तो उसे अधिक प्रीमियम चुकाना होगा। बाजार में इस प्रकार के हेल्थ इंश्योरेंस देने वाले गिनी चुनी कंपनियां मौजूद हैं।
हम जानते हैं कि 20 से 25 साल के युवा आमतौर पर सेहतमंद और मेडिकली फिट होते हैं। यदि इस उम्र में वे अपने लिए हेल्थ इंश्योरेंस लें तो उनका 3-4 साल का वेटिंग पीरियड आसानी से निकल जाएगा।
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टैक्स छूट अलग से
भारत में हेल्थ इंश्योरेंस पर आप इनकम टैक्स में 50 से 75 हजार रुपये तक की छूट का लाभ भी ले सकते हैं। भुगतान किए गए प्रीमियम पर आप आयकर अधिनियम, 1961 की धारा 80डी के तहत छूट का लाभ उठा सकते हैं। जल्दी प्रीमियम भरने की शुरुआत से ही आप टैक्स छूट का फायदा ले सकेंगे। बता दें कि यदि कोई युवा अपने सीनियर सिटीजन बन चुके माता-पिता और खुद के लिए हेल्थ बीमा का प्रीमियम चुकाता है तो उसे 50 हजार रुपये तक की टैक्स छूट मिलती है।
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