SWP (Systematic Withdrawal Plan) : नियमित आय चाहने वाले निवेशक आमतौर पर बैंक या पोस्ट ऑफिस की जमा योजनाओं में निवेश करते हैं। हालांकि बीते कई सालों में बैंक एफडी और पोस्ट ऑफिस की सावधि जमा योजनाओं (Post office RD) की गिरती ब्याज दरों ने आम लोगों की चिंताओं को बढ़ा दिया है। लगातार घटती ब्याज दरों के साथ मिलने वाले टैक्सेबल इनकम ने भविष्य में पैसों की जरूरतों को पूरा करना बेहद मुशिकल बना दिया है। ऐसे में निवेशक अधिक रिटर्न के साथ रेगुलर इनकम के ऑप्शन तलाशने लगे हैं।
इसका समाधान म्युचुअल फंड में शामिल है, जिसे SWP यानी सिस्टमैटिक विदड्रॉल प्लान (Systematic Withdrawal Plan) कहते हैं। म्युचुअल फंड से अपने निवेश पर नियमित आय हासिल की जा सकती है। इसके लिए आपको सिस्टमैटिक विद्ड्रॉल प्लान यानि SWP चुनना होता है।
Table of Contents
SWP (Systematic Withdrawal Plan) क्या होता है ?
म्युचुअल फंड में SWP क्या होता है? SWP यानी सिस्टमैटिक विदड्रॉल प्लान म्युचुअल फंड की एक निवेश योजना है। इसके जरिए एकमुश्त बड़ी रकम के निवेश पर मासिक, क्वार्टली, छमाही और वार्षिक आधार पर एक निश्चित धनराशि प्राप्त की जाती है।
SWP को रेगुलर और गारंटीड इनकम का जरिया कैसे बनाएं ?
म्युचुअल फंड में सिस्टमैटिक विद्ड्रॉल प्लान को रेगुलर इनकम का साधन बनाया जा सकता है। नौकरी से रिटायर्ड हो चुके और हर माह कुछ अतिरिक्त आमदनी चाहने वाले लोगों के लिए SWP बड़े फायदे की चीज है।
निवेशक मासिक, त्रैमासिक, छहमाही या साल की किसी भी तय तारीख पर एक तय धनराशि का भुगतान अपने बैंक अकाउंट में ले सकता है। तय समयांतराल में प्राप्त होने वाली इनकम म्युचुअल फंड स्कीम से कुछ यूनिट्स को भुनाकर दी जाती है। ये पेआउट्स म्युचुअल फंड में रिटर्न सहित जमा हो रहे धन के समाप्त होने तक लिये जा सकते हैं।
कैसे काम करता है Mutual fund SWP ?
SWP की कार्यप्रणाली को उदाहरण से समझते हैं। माना किसी निवेशक ने म्युचुअल फंड की किसी उम्दा स्कीम में 10 लाख रुपये का एकमुश्त निवेश 5 साल के लिए किया है। उसने फंड से सालाना 6 प्रतिशत की दर से 60 हजार रुपये की निकासी को चुन लिया। इस तरह उसे 5 हजार प्रतिमाह की दर से नियमित आय मिलेगी। याद रहे कि पेआउट मिलने की तारीख पर फंड की जो एनएवी होगी, उसके हिसाब से यूनिट्स बेचकर निवेशक को भुगतान किया जाएगा।
मतलब यदि फंड एनएवी अधिक होगी तो कम यूनिट्स और फंड एनएवी के कम रहने पर अधिक यूनिट्स बेचकर निवेशक को 5 हजार की रकम दी जाएगी।
हिसाब करने पर पता चलता है कि निवेशक ने 5 साल में 12 X 5 X 5000= 300000 (3 लाख रुपये) की कुल रकम SWP के जरिए 60 माह तक हासिल की।
माना यदि रिटर्न रेट 9 प्रतिशत सालाना रहा हो तो 5 साल बाद निवेशक को 11 लाख 64 हजार 960 रुपये (रिटर्न सहित निवेशित रकम) मिलेंगे। इस प्रकार, 300000+ 1164960-1000000 = 464960 यानी 10 लाख की निवेशित राशि पर कुल 4 लाख 64 हजार 960 रुपये का धन लाभ होगा। यह रिटर्न EPF , PPF, POST OFFICE MIS , POST OFFICE RD, BANK FD पर मिलने वाले रिटर्न के मुकाबले कहीं ज्यादा है।
SWP Calculator से आप गणना कर सकते हैं।
SWP Mutual fund Scheme के benefits और key Features क्या हैं ?
1-विदड्रॉल धनराशि चुनने की सुविधा (Flexibility):-
SWP plan के तहत निवेशक को अपनी जरूरत के अनुसार मासिक, त्रैमासिक, छमाही और सालाना आधार पर एक तय तारीख पर तय धनराशि अपने बैंक अकाउंट में प्राप्त करने की स्वतंत्रता होती है। वैसे मंथली ऑप्शन ज्यादा लोकप्रिय है। साथ ही निवेशक किसी भी वक्त SWP बंदकर अपनी जमा पूंजी वापस ले सकता है। इसके अलावा निवेशक के पास किसी भी वक्त निवेश की धनराशि बढ़ाने और विदड्रॉल अमाउंट को कम या अधिक रखने का विकल्प भी रहता है।
2- नियमित और गारंटीड आय (Regular Income) :-
Mutual funds SWP अपने निवेश पर नियमित रकम प्राप्त करने का बेहतर साधन है। इसलिए निवेश की यह किस्म रिटायर्ड हो चुके सीनियर सिटीजन के लिए भी बेहद उपयोगी और सुविधाजनक है, जिनकी जरूरत नियमित घरेलू खर्चों को पूरा करने की रहती हैं।
3- निवेशित पूंजी पर रिटर्न का लाभ (Capital appreciation) :-
जैसा कि ऊपर के उदाहरण से साफ है कि यदि एसडब्ल्यूपी विदड्रॉल अमाउंट, फंड रिटर्न से कम है तो निवेशक लंबी अवधि के निवेश पर अधिक रिटर्न हासिल करता है।
3- स्रोत पर टैक्स डिडक्शन नहीं (No TDS) :-
रेजिडेंट इंडविजुअल इन्वेस्टर को SWP amount पर कोई टीडीएस नहीं देना होता।
किन्हें SWP में निवेश करना चाहिए ?
- अतिरिक्त आय का नियमित जरिया ढूंढ रहे लोगों को अपना पैसा SWP scheme में लगाना चाहिए। निवेश का यह जरिया बढ़ती महंगाई से मुकाबले के लिहाज से भी बेहद कारगर है। इसलिए लंबी अवधि में विदड्राल से मिलने वाली नियमित रकम को इनकम का दूसरा विकल्प बनाया जा सकता है। साथ ही निवेश का ये तरीका भी बहुत आसान है।
- कैलकुलेटिव रिस्क लेने वाले, मध्यम और कम रिस्क लेने वाले सभी तरह के निवेशकों के लिए म्युचुअल फंड में SWP के लिए स्कीम्स के ढेरों विकल्प मौजूद हैं। उदाहरण के तौर पर रिस्क से बचने वाले लोगों को आर्बिट्राज फंड, मध्यम रिस्क लेने वालों को बैलेंस्ड एडवांटेज या सेविंग फंड और कैलकुलेटिव रिस्क लेने वाले निवेशकों के लिए हाइब्रिड फंड ज्यादा मुफीद है।
- वर्तमान में नियुक्त सरकारी कर्मचारियों और प्राइवेट संस्थानों के कर्मचारियों को पेंशन का लाभ नहीं दिया जा रहा। इन परिस्थितियों में ऐसे नौकरीपेशा लोगों को अपनी जोखिम लेने की क्षमता और रिटायरमेंट बाद के खर्चों को देखते हुए बतौर पेंशन SWP को फाइनेंशियल प्लानिंग में शामिल करना चाहिए।
- High Tax bracket में आने वाले लोगों के लिए SWP में निवेश इसलिए भी बहुत फायदेमंद हैं क्योंकि इसके कैपिटल गेन्स पर टीडीएस कटौती नहीं होती। बता दें कि पेआउट्स की तारीख पर हर बार फंड की यूनिट्स बेचकर पैसा विदड्रॉल किया जाता है। यदि विदड्रॉल की गईं सभी यूनिट्स की खरीदी गई एनएवी और बेची गई एनएवी पर लाभ मिलता है तो कैपिटेल गेन्स टैक्स लगता है। हालांकि एक्विटी म्युचुअल फंड्स से मिलने वाले विदड्रॉल पर मामूली कैपिटेल गेन्स टैक्स देना होता है। डेट म्युचुअल फंड की स्कीम्स से मिलने वाले SWP पेआउट्स पर निवेश अवधि के 3 साल के भीतर मामूली शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन्स लगता है। वहीं, निवेशकों को लॉन्ग टर्म में डेट फंड्स के पेआउट्स पर इंडेक्सेशन लाभ के साथ बेहद मामूली टैक्स देना होता है। अपने निवेश सलाहकार की मदद लेकर लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन्स टैक्स को जीरो पर लाया जा सकता है।
SWP में कितना लगता है टैक्स
एक्विटी म्युचुअल फंड्स में टैक्सेशन-
एक्विटी म्युचुअल फंड की स्कीम में निवेश के 12 माह के भीतर यूनिट्स बेचने पर मिलने वाले लाभ पर 15 प्रतिशत का शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन टैक्स लगता है। इन्वेस्टमेंट की तारीख के 12 माह गुजरने के बाद बेची गईं यूनिट्स का लाभ एक फाइनेंशियल ईयर में यदि 1 लाख से अधिक होता है तो 1 लाख से उपर के धन लाभ पर 10 प्रतिशत का लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन्स टैक्स लगता है। दूसरे शब्दों में, निवेश के 12 माह पूरे हो जाने के बाद एक वित्तीय वर्ष में एक्विटी म्युचुअल फंड में 1 लाख रुपये तक होने वाले कैपिटल गेन्स पर कोई टैक्स नहीं देना होता।
नॉन एक्विटी म्युचुअल फंड्स में टैक्सेशन-
नॉन एक्विटी म्युचुअल फंड्स यानी डेट म्युचुअल फंड्स में निवेश की तारीख के 36 माह के अंदर यूनिट्स बेचने पर होने वाली आय निवेशक की इनकम में जोड़ी जाती है। तदनुसार निवेशक को टैक्स चुकाना होता है। यहां 3 साल बाद होने वाले लाभ को लम्बी अवधि का निवेश माना जाता है। इस सूरत में लाभ पर इंडेक्सेशन बेनेफिट के साथ 20 प्रतिशत का टैक्स देनदारी बनती है।
म्युचुअल फंड के डिविडेंड भी टैक्स योग्य-
म्युचुअल फंड् स्कीम्स पर मिलने वाले डिविडेंड पर एसेट मैनेजमेंट कंपनी 10 प्रतिशत की टीडीएस कटौती करती है। इसके अलावा हाथ में आने वाले डिविडेंड पर निवेशक को उसके टैक्स स्लैब के मुताबिक टैक्स चुकाना पडता है। इसलिए डिविडेंड के मामले में भी SWP एक बेहतर विकल्प है।
SWP की इनकम पर सबसे कम टैक्स-
बैंक एफडी और पोस्ट ऑफिस की सावधि जमा योजनाओं की मैच्योरिटी अमाउंट पर लगने वाले टीडीएस और टैक्सेशन की तुलना में SWP की आय पर लगने वाले कैपिटल गेन्स बेहद मामूली होते हैं। इसलिए टैक्सेशन के लिहाज से निवेश के ट्रेडिशनल ऑप्शन्स के मुकाबले SWP बेहद फायदे का इन्वेस्टमेंट है।
SWP के लिए ये जानना भी जरूरी
आप म्युचुअल फंड की किस स्कीम से SWP चलाना चाहते हैं? कितनी राशि का पेआउट लेना चाहते हैं ? कितने समय तक SWP चलाना चाहते हैं? पेआउट पाने के लिए महीने की निर्धारित तारीख बताना जरूरी हे। बता दें कि पेआउट के पैसे आपके फंड की यूनिट्स बिकने से मिलते हैं। फंड में पैसे खत्म होते ही SWP बंद हो जाएगा। इन चीजों को ध्यान में रखकर एसडब्ल्यूपी से फाइनेंशियल प्लानिंग करनी चाहिए।
निष्कर्ष-
SWP की ढेर सारी खूबियां जानने के बाद आप लोग समझ ही गए होंगे कि systematic withdrawal plan की निवेश रणनीति अपनाकर अच्छी रेगुलर इनकम हासिल की जा सकती है। साथ ही रिटायरमेंट प्लानिंग भी बखूबी की जा सकती है। यहां ख्याल रखने की बात ये है कि एकमुश्त निवेशित राशि पर मिलने वाले रिटर्न की राशि से अधिक विदड्राल अमाउंट नहीं लिया जाना चाहिए। निवेश के इस तरीके की एक खासियत इसे ट्रेडिशनल प्लान्स से इसलिए भी बेहतर बनाती है क्योंकि SWP में टीडीएस कटौती नहीं होती। इसलिए जल्दी प्लानिंग करना भी टैक्स के लिहाज से लाभदायी है।
FAQs (Frequently asked Questions) –
Ans-SWP यानी सिस्टमैटिक विदड्रॉल प्लान म्युचुअल फंड की एक निवेश योजना है। इसके जरिए एकमुश्त बड़ी रकम के निवेश पर मासिक, क्वार्टली, छमाही और वार्षिक आधार पर एक निश्चित धनराशि प्राप्त की जाती है।
Ans- म्युचुअल फंड की इक्विटी स्कीम में निवेश के 12 माह के भीतर यूनिट्स बेचने पर मिलने वाले लाभ पर 15 प्रतिशत का शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन टैक्स लगता है। इन्वेस्टमेंट की तारीख के 12 माह गुजरने के बाद बेची गईं यूनिट्स का लाभ एक फाइनेंशियल ईयर में यदि 1 लाख से अधिक होता है तो 1 लाख से उपर के धन लाभ पर 10 प्रतिशत का लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन्स टैक्स लगता है।
वहीं, नॉन एक्विटी म्युचुअल फंड्स यानी डेट म्युचुअल फंड्स में निवेश की तारीख के 36 माह के अंदर यूनिट्स बेचने पर होने वाली आय निवेशक की इनकम में जोड़ी जाती है। तदनुसार निवेशक को टैक्स चुकाना होता है। यहां 3 साल बाद होने वाले लाभ को लम्बी अवधि का निवेश माना जाता है। इस सूरत में लाभ पर इंडेक्सेशन बेनेफिट के साथ 20 प्रतिशत का टैक्स देनदारी बनती है।
Ans-नहीं, SWP टैक्स फ्री नहीं होते हैं। लेकिन इनसे मिलने वाले रिटर्न पर निवेश के प्रचलित तरीकों के मुकाबले बेहद कम टैक्स लगता है।
Ans-रेजिडेंट इंडविजुअल इन्वेस्टर को SWP amount पर कोई टीडीएस नहीं देना होता।
Ans- म्युचुअल फंड में सिस्टमैटिक विद्ड्रॉल प्लान को रेगुलर इनकम का साधन बनाया जा सकता है। निवेशक मासिक, त्रैमासिक, छहमाही या साल की किसी भी तय तारीख पर एक तय धनराशि का भुगतान अपने बैंक अकाउंट में ले सकता है। तय समयांतराल में प्राप्त होने वाली इनकम म्युचुअल फंड स्कीम से कुछ यूनिट्स को भुनाकर दी जाती है। ये पेआउट्स म्युचुअल फंड में रिटर्न सहित जमा हो रहे धन के समाप्त होने तक लिये जा सकते हैं।
निष्कर्ष-
SWP की ढेर सारी खूबियां जानने के बाद आप लोग समझ ही गए होंगे कि systematic withdrawal plan की निवेश रणनीति अपनाकर अच्छी रेगुलर इनकम हासिल की जा सकती है। साथ ही रिटायरमेंट प्लानिंग भी बखूबी की जा सकती है। यहां ख्याल रखने की बात ये है कि एकमुश्त निवेशित राशि पर मिलने वाले रिटर्न की राशि से अधिक विदड्राल अमाउंट नहीं लिया जाना चाहिए। निवेश के इस तरीके की एक खासियत इसे ट्रेडिशनल प्लान्स से इसलिए भी बेहतर बनाती है क्योंकि SWP में टीडीएस कटौती नहीं होती। इसलिए जल्दी प्लानिंग करना भी टैक्स के लिहाज से लाभदायी है।