इंश्योरेंस का प्रोटेक्शन हमेशा से हमारी जरूरत रही है। कई तरह के इंश्योरेंस जिंदगी में आने वाली अकल्पनीय विपदाओं में हमारी और हमारे परिवारीजनों को सुरक्षा देते हैं।
फिर भी हममें से अधिकतर लोग जिंदगी की इस अहम जिम्मेदारी को पूरा करने में लापरवाही बरतते हैं।
अगर आपने भी अब तक इंश्योरेंस नहीं लिया है अथवा आप इसे ज्यादा जरूरी नहीं समझते हैं तो यह लेख आपके लिए ही हैं।
यहां आप समझेंगे कि किस तरह के इंश्योरेंस प्रॉडक्ट आपके लिए जरूरी है और इन्हें क्यों लेना चाहिए। ताकि आप अनदेखी मुसीबतों का सफलतापूर्वक सामना कर सके।
Table of Contents
जिंदगी के जोखिम (RISKS OF LIFE) –
मनुष्य जीवन में 4 तरह के सर्वाधिक बड़े जोखिम हैं-
- असामयिक अथवा अल्प आयु में मृत्यु का जोखिम (Risk of early death)
- रोग की चपेट में आकर अस्पताल में होने वाले तगड़े खर्च का जोखिम (Risk of disease)
- दुर्घटना से मौत या आंशिक/पूर्ण विकलांगता का जोखिम (Risk of disability)
- दुर्घटना से वाहन या मकान के नुकसान का जोखिम (Risk of damage)
आइये अब जानते हैं कि इन जोखिमों से हम किस प्रकार के इंश्योरेंस प्रॉडक्ट्स से खुद को और अपने परिवारीजनों को वित्तीय सुरक्षा दे सकते हैं –
Risk Of Early death के लिए लें टर्म प्लान (Term Plan) –
परिवार के कमाने वाले सदस्य की आकस्मिक मृत्यु (Risk of early death) के बाद जैसे उनके आश्रितों पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ता है। ये अनहोनी किसी जानलेवा रोग (Risk of disease) के कारण भी उत्पन्न हो सकती है।
अमूमन शहरी जीवन में नौकरीपेशा लोगों के पास आय के साधन एक से अधिक नहीं होते। जबकि कमाऊ सदस्य के नहीं रहने पर परिवारीजनों के खर्च पहले की तरह बने रहते हैं।
अगर विरासत की सम्पत्ति पर्याप्त न हो तो परिवारीजनों को पैसों की तंगी से दो चार होना पड़ता है। चुनौती की इस घड़ी में लाइफ इंश्योरेंस का टर्म प्लान आश्रितों को आर्थिक सुरक्षा देने का सबसे सस्ता और कारगर जरिया होता है।
अनुभव में आया है कि जब मुसीबत की घड़ी में अपने भी मुंह मोड़ लेते है, तब टर्म इंश्योरेंस से नॉमिनी को मिलने वाली रकम परिवारीजनों के लिए बड़ा सहारा बनती है।
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टर्म प्लान की कुछ अहम विशेषताएं –
टर्म प्लान लाइफ इंश्योंरेंस का शुद्ध और बेसिक फॉर्म है। इसमें सिर्फ डेथ बेनिफिट को कवर किया जाता है।
पॉलिसी अवधि के दौरान पालिसीधारक की मौत के बाद नॉमिनी को सम एश्योर्ड की पूरी धनराशि मिलती है।
पूरी पालिसी अवधि के दौरान पॉलिसीधारक के जीवित रहने पर उसे कोई मैच्योरिटी रकम नहीं मिलती।
उदाहरण के तौर, पर माना 35 साल के किसी व्यक्ति ने 50 लाख रुपये का टर्म इंश्योरेंस 65 साल तक की उम्र के लिए कराया है। इसके लिए पॉलिसीधारक ने सालाना लगभग 11 हजार 500 रुपये का प्रीमियम 30 साल तक जमा किया।
यदि इन 30 सालों के दौरान पॉलिसीधारक की मौत हो जाती है तो उसके नॉमिनी को 50 लाख रुपये का डेथ बेनिफिट मिल जाएगा।
65 साल की उम्र तक पॉलिसीधारक के जीवित रहने पर उसे कोई राशि नहीं दी जाती। इसलिए प्योर टर्म प्लान काफी सस्ते होते हैं।
नौकरीपेशा और बिजनेस करने वाले लोगों के लिए लाइफ इंश्योरेंस के टर्म प्लान काफी मददगार साबित होते हैं।
चूंकि 65 साल की पॉलिसी अवधि के बाद जीवित रहने पर पॉलिसीधारक को कोई वित्तीय लाभ नहीं दिया जाता। इसलिए बहुत से लोग लाइफ इंश्योरेंस को बेवजह का खर्च मानते हैं। इसे देखते हुए कई लाइफ इंश्योरेंस कंपनियों ने जीवन बीमा उत्पाद को टर्म प्लान विद रिटर्न ऑफ प्रीमियम फीचर के साथ बाजार में उतारा हैं।
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प्रीमियम अदायगी के साथ टर्म प्लान (Term Plan with ROP) –
लाइफ इंश्योरेंस की मैच्योरिटी के बाद रकम हासिल करने के इच्छुक लोग टर्म प्लान (Term Plan with Return Of Premium) विद रिटर्न ऑफ प्रीमियम प्रॉडक्ट ले सकते हैं। 65 साल की उम्र पूरी होने और पॉलिसी धारक के जीवित रहने पर उसे पूरा प्रीमियम लौटा दिया जाता है।
Risk of disease के लिए Health Insurance जरूरी है-
बड़ी बीमारी के इलाज या ऑपरेशन में अस्पताल का लाखों का बिल चुकाने में जीवनभर की जमा पूंजी खर्च हो जाती है। ऐसे में किसी अच्छी हेल्थ पॉलिसी यानी मेडिक्लेम के नहीं होने पर इलाज का खर्च चुकाना बहुत भारी पड़ता है।
आकस्मिक स्वास्थ्य संबंधी बड़े खर्च (Medical Emergencies)- देखने में आया है कि भारत की 80 प्रतिशत से ज्यादा की आबादी के पास अचानक इलाज पर आने वाले 5 लाख के खर्च के लिए धनराशि उपलब्ध नहीं होती। मजबूरी में इन्हें अपनी जमीन जायदाद बेचकर पैसा जुटाना पड़ता है।
प्रॉपर्टी नहीं होने की सूरत में ऐसे लोग भारी ब्याज के साथ कर्ज लेकर अपने परिवारीजन का इलाज कराते हैं। नतीजतन जीवन के कई सालों तक वे कर्ज के बोझ तले दबे रहते हैं।
ऐसे में अगर आपने हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी ले रखी है तो पॉलिसी अस्पताल में भर्ती और सर्जरी में होने वाले लंबे-चौड़े खर्चों को चुकाने में मददगार होती है।
Hospitalization expenses के मद में हर साल 12 प्रतिशत की दर से महंगाई (Medical Inflation) बढ़ रही है।
हम पहले ही खराब जीवनशैली से होने वाले रोगों के (Lifestyle diseases) खतरों से जूझ रहे थे।
वहीं,समय-समय पर आने वाली महामारी (Uncertain Epidemics)ने भी इलाज के खर्च को बेतहाशा बढ़ाने का काम किया है।
हेल्थ इंश्योरेंस पालिसी से खुद को और अपने परिवार को कवर देकर अस्पताल के आकस्मिक खर्चों को पूरा किया जा सकता है।
इस छोटी सी जिंदगानी में हमें दुर्घटनाओं का भी खतरा बना रहता है। चाहे वो वाहन चलाते समय कोई सड़क हादसा हो या किसी वजह से गंभीर रूप से घायल होने का मामला हो। अब भगवान न करें कि अगर किसी एक्सीडेंट में परिवार का कमाने वाले सदस्य की मौत हो जाए।
अथवा वह पूरी तरह विकलांग हो जाए तो जाहिर है कि परिवार के सामने रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो जाएगा। इन अभूतपूर्व हालात से निपटने में पर्सनल एक्सीडेंट पॉलिसी बेहद कारगर साबित होती है।
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Personal Accident Policy में क्या कवर होता हैं –
Personal Accident Policy को PA Policy भी कहते हैं। यदि दुर्भाग्यवश एक्सीडेंट से पॉलिसी होल्डर Permanent total disbality (पूर्ण स्थायी विकलांगता) या Permanent partial disability ( पूर्ण अस्थायी विकलांगता) का शिकार हो जाता है तो उसे पॉलिसी के मुताबिक बीमा कवर और आजीवन गुजारे का खर्च सपरिवार दिया जाता है।
वहीं पॉलिसीधारक की मौत पर पीए पॉलिसी के बीमे की रकम नॉमिनी को दी जाती है।
इसके अलावा पालिसी में दुर्घटना से होने वाले अस्पताल के इलाज और सर्जरी का खर्च भी शामिल है।
दुर्घटना बीमा में वैकल्पिक राइडर्स (Optional Coverage in Accident Insurance) –
थोड़ा ज्यादा प्रीमियम भरकर Accident Insurance में कई तरह के कवर लिये जा सकते हैं। अपने Financial Advisor की सलाह से आप निम्न एडऑन्स (Add Ons) ले सकते हैं।
1-बच्चों की शिक्षा का लाभ (Child education benefit)
इस सुविधा को जोड़ने पर पॉलिसीधारक की दुर्घटना में मौत होने की स्थिति में मृतक के बच्चों की पढ़ाई-लिखाई का खर्च भी कवर शामिल हो जाता है।
2-कर्ज से सुरक्षा का लाभ (Loan Protection benefit)
पॉलिसीधारक की मृत्यु के बाद उसके लिए गए लोन को चुकाने का सारा कवर एक्सीडेंट पॉलिसी में समाहित हो जाता है। इससे लोन की किस्तें चुकाने में परिवार को कोई परेशानी नहीं होती।
3- दुर्घटना के बाद अस्पताल में भर्ती होने का लाभ (Accident Hospitalization benefit)
मेडिक्लेम पॉलिसी में यह एडऑन एक्सीडेंट के बाद इलाज में होने वाले अस्पताली और सर्जरी के खर्च को कवर करता है।
4-Repatriation of mortal benefit
5-साहसिक खेलों से होने वाले नुकसानों में कवर (Adventure sports cover)
कुछ इंश्योरेंस कंपनियां साहसिक खेलों से होने वाली चोट चपेटों और मौत को भी पीए पॉलिसी में कवर करती हैं।
5–अस्पताल के दैनिक खर्च (Hospital Cash benefit)-
पॉलिसी होल्डर के अस्पताली इलाज में लगने वाले अतिरिक्त खर्चों को भी शामिल किया जाता है। जो आमतौर पर बेसिक बीमा में शामिल नहीं होते। सम एश्योर्ड और पॉलिसी शर्तों के मुताबिक इसमें प्रतिदिन तीमारदार को एक तय खर्च दिया जाता है।
7- हवाई एंबुलेंस का कवर (Air Ambulance cover)-
जरूरी पड़ने पर एयर एंबुलेंस संबंधी खर्च शामिल होता है।
8- फ्रैक्चर के बचाव से लाभ (Fracture care benefit)-
इस राइडर में फ्रैक्चर संबंधी कवर शामिल होते है।
वाहन/मकान के नुकसान के जोखिम (Risk of damage) को दें इंश्यारेंस का कवर-
संपत्ति प्रबंधन (Asset Management) दो तरह से किया जाता है-
1- प्राइवेट और कमर्शियल वाहन का बीमा (Motor Insurance)
2- मकान प्रापर्टी का बीमा (Home Insurance)
याद रखें ये महत्वपूर्ण बातें-
1-इंश्योरेंस संबंधी निर्णयों में देरी करने का कोई सवाल ही पैदा नहीं होता। क्योंकि मुसीबत कभी बताकर नहीं आती।
2- इंश्योरेंस बीमा कंपनी और पॉलिसी होल्डर के बीच का contract है। इसमें Utmost Good Faith का होना बेहद जरूरी है।
3- हेल्थ इंश्यारेंस पॉलिसी के दस्तावेज भरते वक्त स्वास्थ्य संबंधी सभी बातों का खुलासा करें। कोई बाद छुपाने पर पॉलिसी के निरस्त होने या क्लेम संबंधी परेशानी का जोखिम हो सकता है।
4-इंश्योरेंस का उद्देश्य आर्थिक नुकसानों से सुरक्षा प्रदान करता है। इसका मकसद आपदा में अवसर तलाशकर पैसा बनाना नहीं है।
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अब ज्यादा न सोचें-
अंतिम बात, ज्यादा न सोचें, बस इंश्योरेंस ले लें। 100 रुपये प्रतिदिन का खर्च आपको वित्तीय संकट से राहत दिला सकता है।
लाइफ इंश्योरेंस या टर्म प्लान लेने का फैसला करने के बाद अब बारी आती है कि किसे कितना बीमा कवर लेना चाहिए। अधिक जानकारी के लिए आप इस ब्लॉग के फाउंडर और निवेश सलाहकार से वाट्सएप नंबर 7860678995 पर सवाल पूछ सकते हैं।
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