क्या होता है अल्फा : इक्विटी म्युचुअल फंड्स की किसी स्कीम का अल्फा उसके प्रदर्शन के स्तर को दर्शाता है। अल्फा ऐसी स्केल है जिससे हमें स्कीम के रिटर्न का काफी हद तक सही पता चल जाता है।
अल्फा से पता चलता है कि अमुक इक्विटी म्युचुअल फंड की स्कीम लाभ दे रही है या नुकसान। इससे फंड के आगामी प्रदर्शन के बारे में भी सही अनुमान लगाया जा सकता है।
अल्फा म्युचुअल फंड की काबिलियत और लाभ देने की क्षमता को परखने का बेहद अहम साधन है। कोई स्कीम अच्छा प्रदर्शन कर रही है या नहीं, इसके लिए आपको महज अल्फा को जान लेना भी काफी हो सकता है।
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क्या होता है अल्फा : हम जानते है कि हर म्युचुअल फंड की स्कीम के लिए एक बेंचमार्क इंडेक्स तय होता है। जैसे- लार्जकैप स्कीम का बेंचमार्क इंडेक्स एसएंडपी बीसई 100 होता है। यदि किसी लार्जकैप स्कीम ने बेंचमार्क की तुलना में जो भी पॉजिटिव या नेगेटिव रिटर्न दिया है वही उस स्कीम का अल्फा कहलाता है।
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अल्फा रेशियो को कैसे समझें
केस-1 अब मान लेते हैं किसी लार्ज कैप फंड की स्कीम ने साल 2020 में 10 प्रतिशत का रिटर्न दिया है। वहीं, बेंचमार्क इंडेक्स एसएंडपी बीसई 100 ने महज 8 प्रतिशत का रिटर्न दिया।
तो हम देख सकत है कि लार्ज कैप ने बेंचमार्क से 2 प्रतिशत ज्यादा रिटर्न दिया है। यही 2 प्रतिशत अतिरिक्त रिटर्न ही अल्फा कहलाता है। पॉजिटिव अल्फा का मतलब स्कीम के बढ़िया प्रदर्शन से है।
केस-2 अब माना कि मौजूदा साल में किसी लार्ज कैप स्कीम का रिटर्न महज 7 प्रतिशत है। वहीं, इसके बेंचमार्क ने 8 प्रतिशत का रिटर्न दिया। यानी स्कीम ने बेंचमार्क की तुलना में एक प्रतिशत कम का नेगेटिव रिटर्न दिया है। इसे हम नेगेटिव एल्फा कहेंगे। मतलब स्कीम का प्रदर्शन बेंचमार्क के मुकाबले कमतर रहा है।
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बढ़िया अल्फा देना फंड मैनेजर का दारोमदार
क्या होता है अल्फा : एक्टिव म्युचुअल फंड में बेंचमार्क से अच्छा रिटर्न देना फंड मैनेजर का जिम्मा होता है। इसके लिए हर एएमसी अपने यहां योग्य फंड मैनेजर्स नियुक्त कर उन्हें मोटी पगार देती हैं। स्कीम के बढ़िया अल्फा का मतलब फंड मैनेजर की काबिलियत और सूझबूझ से होता है।
इससे पता चलता है कि फंड मैनेजर ने निवेश के उचित मौकों पर सही फैसले लिये और फंड को सफल बनाया। बता दें कि फंड मैनेजर के अनुभव और स्कीम का अल्फा देखकर भी बहुत से निवेशक स्कीम में निवेश करते हैं।
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दूसरे मामले में अगर स्कीम रिटर्न देने में बेंचमार्क से पिट गई हो तो फंड मैनेजर के लिए चिंतन-मंथन करने का समय होता है। इसका मतलब ये भी हो सकता है कि फंड मैनेजर ने निवेश के फैसलों में गलतियां की हों।
हो सकता है कि बाजार का रुझान,फंड के सीमित संसाधन और आर्थिक नीतियों ने फंड के तात्कालिक प्रदर्शन पर बुरा असर डाला हो।
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अल्फा स्कीम के प्रदर्शन का जरूरी आधार
क्या होता है अल्फा : बेंचमार्क इंडेक्स और म्युचुअल फंड स्कीम का रिटर्न अगर समान है तो अल्फा जीरो होगा। इसका मतलब स्कीम का बेंचमार्क इंडेक्स से बराबर का संतुलन है।
अगर स्कीम का अल्फा वैल्यू 1.2 है तो इसका अर्थ यह है कि स्कीम ने बेंचमार्क इंडेक्स को 1.2 प्रतिशत से मात दी है। आज के परिवेश में यह अल्फा काफी अच्छा कहलाएगा मौजूदा वर्ष में मोटे अनुमान के मुताबिक 60 प्रतिशत से ज्यादा स्कीम्स पॉजिटिव अल्फा वैल्यू देने में नाकाम रहे हैं।
वहीं, अगर किसी फंड की अल्फा वैल्यू -1.8 है तो निवेश ने बेंचमार्क के सापेक्ष 1.8 प्रतिशत कम रिटर्न दिया है।
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अल्फा वैल्यू ही सबकुछ नहीं
क्या होता है अल्फा : अगर किसी को जानना है कि म्युचुअल फंड की कौन सी स्कीम बेहतर रिटर्न दे रही है तो फैक्ट शीट में इसके अल्फा पर नजर डाल लें। बीते सालों में स्कीम का अल्फा भी देख लें। अगर बेंचमार्क भी नेगेटिव है और अल्फा भी नेगेटिव तो देखें कि अल्फा की गिरावट बेंचमार्क की तुलना में ज्यादा है या कम।
इसी आधार पर निवेशक म्युचुअल फंड स्कीम का चुनाव कर सकते हैं। याद रहें कि अल्फा वैल्यू किसी स्कीम को समझने की एक सरसरी तकनीक है। बेहतर स्कीम को परखने के लिए बहुत से अन्य महत्वपूर्ण तथ्यों को जांच लेना भी जरूरी होता है।
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