Income Tax slab in Budget 2021 : फाइनेंस मिनिस्टर निर्मला सीतारमण की ओर से पेश किए गए बजट 2021 में सैलरीड क्लास की उम्मीदों को झटका लगा है।
कोरोना काल की आपदा के बाद पैसा बचाने की सोच रहे नौकरीपेशा लोगों को (Tax slab for 2021-22) टैक्स में राहत मिलने की उम्मीद थी, जो परवान नहीं चढ़ी। यूनियन बजट 2021 में 80 सी टैक्स डिडक्शन की लिमिट नहीं बढ़ाई गई।
टैक्स एग्जेम्पशन और रिबेट में भी कोई राहत नहीं दी गई। सिर्फ 75 साल से ज्यादा उम्र के सीनियर सिटीजन्स को आईटीआर नहीं भरने की राहत दी गई है। यानी उन्हें अब ब्याज से मिलने वाली इनकम पर टीडीएस न कटने पर आईटीआर फाइल नहीं करना होगा।
हालांकि कुछ जानकारों का कहना है कि अगर किन्हीं परिस्थितियों में बैंक सीनियर सिटीजन्स के अर्जित ब्याज पर टीडीएस कटौती करते हैं तो वे आईटीआर भरकर रिफंड ले सकते हैं।
अगर 75 साल से ज्यादा उम्र के लोगों की इनकम का जरिया सिर्फ पेंशन है तो उन्हें इनकम टैक्स नहीं भरना पड़ेगा। इस मामले में पूरा अपडेट आने का इंतजार है।
भले ही वित्त मंत्री ने मिडिल क्लास और नौकरीपेशा लोगों को राहत की सौगात नहीं दी हैं, लेकिन आप चतुराई से निवेश कर डिडक्शन का भरपूर लाभ ले सकते हैं। कैसें? इसे समझने के लिए पूरा लेख गौर से पढ़ें।
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पुराना Income Tax सिस्टम ही फायदेमंद
पिछले साल के बजट में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने नये इनकम टैक्स नियम की घोषणा की थी। पुराने टैक्स नियम और बजट में लाए गए नये इनकम टैक्स नियम दोनों में 5 लाख रुपये तक की आय टैक्स फ्री है।
हालांकिे पुराने टैक्स व्यवस्था में टैक्स की दर अधिक है, लेकिन टैक्स छूट की सुविधा उपलब्ध है। इसलिए टैक्स का फायदा लेने के लिए टैक्सपेयर के लिए इन्वेस्टमेंट करना जरूरी है।
पुराने टैक्स सिस्टम के अनुसार (1) सेक्शन 80 सी के तहत 1.5 लाख रुपये तक (2) होमलोन लिया है और इसके इंटरेस्ट पर 2 लाख रुपये तक (3) होमलोन के मूलधन यानी प्रिंसिपल अमाउंट पर 1.5 लाख रुपये तक 80 सी के अंतर्गत (4) मेडिक्लेम यानी हेल्थ इंश्योरेंस के लिए सेक्शन 80डी के तहत 50 हजार रुपये की रियायत मिलती है।
इतना ही नहीं, 5 लाख रुपये तक की इनकम पर 12 हजार 500 रुपये की छूट मिलती है। सैलरी या कमाई के अनुसार करदाताओं के लिए कौन सा टैक्स सिस्टम आपके लिए ज्यादा फायदेमंद है, आइए इसे Income tax calculator से समझते हैं।
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6 लाख रुपये तक की वार्षिक कमाई पर कितना टैक्स ?
पुराने सिस्टम में कोई टैक्स देनदारी नहीं बनेगी। अगर वह पूरा डिडक्शन यानी 5 लाख रुपये क्लेम कर लेता है। इस हालत में टैक्सपेयर के पास खर्च करने के लिए महज 1 लाख रुपये ही बचेंगे।
ऐसा इसलिए क्योंकि पुराने टैक्स सिस्टम के तहत टैक्सपेयर स्टैंडर्ड डिडक्शन में 50 हजार, 80सी में 1.5 लाख, 80डी में 50 हजार, होम लोन के ब्याज पर 2 लाख और नेशनल पेंशन स्कीम (NPS) के तहत 50 हजार का क्लेम 80CCD (1B) में कर सकता है। कुल मिलाकर यह राशि 5 लाख रुपये होती है।
6 लाख रुपये के लिए नए टैक्स सिस्टम के तहत उसे 2.5 लाख से 5 लाख पर 5 प्रतिशत के हिसाब से 12 हजार 500 रुपये का कर चुकाना होगा। बाकी एक लाख पर 10 प्रतिशत के अनुसार से 10 हजार रुपये और 4 प्रतिशत सेस यानी 900 रुपये देने होंगे।
इस तरह टैक्स की कुल धनराशि 12500+10000= 22500 रुपये और 4 पर्सेंट सेस के साथ (22500+900) 23 हजार 400 ररुपये देना होगा। नई टैक्स प्रक्रिया में खर्च के लिए 57 हजार6 हजार 600 रुपये चुकाने होंगे।
इस उदाहरण से पता चलता है कि निवेश नहीं करने पर नये टैक्स सिस्टम में 57 हजार 6 हजार 600 रुपये चुकाना होगा। वहीं, पुराने टैक्स रिजीम में कोई टैक्स देनदारी नहीं बनने पर ज्यादा फायदेमंद है।
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9 लाख रुपये की सालाना इनकम पर कितना ?
अगर किसी की सालाना इनकम 9 लाख रुपये है। 5 लाख रुपये का टैक्स डिडक्शन क्लेम करने पर कोई टैक्स नहीं चुकाना होगा। डिडक्शन के बाद टैक्सेबल इनकम 4 लाख रुपये होती है। चूंकिे 5 लाख रुपये की इनकम टैक्स के दायरे में नहीं आती, इसलिए कोई टैक्स नहीं लगेगा।
उधर, अब नए टैक्स सिस्टम की कैलकुलेशन देखते हैं-
2.5 लाख रुपये पर कोई टैक्स नहीं।
2.5 से 5 लाख रुपये तक के 2.5 लाख पर 5% की दर से 12,500 रुपये टैक्स
5 से 7.5 लाख रुपये तक के 2.5 लाख पर 10% की दर से 25,000 रुपये टैक्स
7.5 से 9 लाख रुपये तक के 1.5 लाख पर 15% की दर से 22,250 रुपये टैक्स
कुल टैक्स 12,500 + 25,000 + 22,250 =60,000 रुपये। इस पर 4 फीसदी सेस यानी 2400 रुपये जोड़ने पर कुल टैक्स का बोझ 62400 रुपये देना होगा।
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13 लाख रुपये की इनकम पर टैक्स देनदारी
पुराने टैक्स स्लेब्स के जरिए 5 लाख तक टैक्स डिडक्शन क्लेम करने के बाद टैक्सेबल इनकम की राशि 8 लाख रुपये बनती है।
पुराना टैक्स सिस्टम
2.5 लाख तक टैक्स नहीं
2.5 से 5 लाख तक 5 प्रतिशत यानी 12500 रुपये देने होंगे
बाकी के 8 लाख के 3 लाख पर 20 प्रतिशत के हिसाब से 60000 रुपये लगेंगे
पुराने टैक्स सिस्टम में 12500+60000=72500 रुपये टैक्स देनदानी बनेगी। इस पर 4 प्रतिशत सेस यानी 2900 रुपये। अब टैक्सपेयर की कुल देनदारी 72500+2900=75400 रुपये बन जाएगी।
अब नए टैक्स सिस्टम के तहत
2.5 लाख तक कोई टैक्स नहीं।
2.5 लाख से 5 लाख तक 5 प्रतिशत यानी 12500 रुपये।
5 से 7.5 लाख तक 2.5 लाख पर 10 प्रतिशत यानी 25000 रुपये
7.5 से 10 लाख तक 2.5 लाख पर 15 प्रतिशत यानी 37500 रुपये
10से 12.5 लाख तक 2.5 लाख पर 20 प्रतिशत यानी 50000 रुपये।
12.5 से 13 लाख तक 50 हजार पर 25 प्रतिशत यानी 12500 रुपये।
कुल टैक्स का भार 12500+25000+37500+50000+12500=137500 रुपये। इस पर 4 प्रतिशत सेस यानी 5500 रुपये के बाद कुल टैक्स की राशि 143000 यानी 1 लाख 43 हजार रुपये बन जाती है।
साफ है कि 13 लाख रुपये की सालाना आय पर पुराने टैक्स और नये टैक्स रिजीम के हिसाब से क्रमश: 75 हजार 400 और 1 लाख 43 हजार रुपये टैक्स लगेगा। इस मामले में भी पुराना टैक्स सिस्टम लाभदायी है।
16 लाख की Annual Income पर टैक्स कैलकुलेशन
पुराना टैक्स सिस्टम में 5 लाख तक डिडक्शन क्लेम करने के बाद टैक्स योग्य इनकम 11 लाख रुपये बनती है।
पुराने टैक्स सिस्टम के अनुसार गणना
2.5 लाख तक कोई टैक्स नहीं
2.5 से 5 लाख तक 5 प्रतिशत यानी 12500 रुपये देय
5 लाख से 10 लाख के 5 लाख रुपये पर 20 प्रतिशत यानी 1 लाख हुए
10 लाख से 11 लाख के 1 लाख रुपये की इनकम पर 30 प्रतिशत टैक्स लगेगा। जो 30 हजार रुपये होगा
पुराने टैक्स सिस्टम में 12हजार 500+ 1 लाख +30 हजार =1लाख 42हजार 500 रुपये टैक्स हुआ।
4 प्रतिशत सेस 5700 रुपये अलग से।
अब टैक्सपेयर को कुल देनदारी के तौर पर 1लाख 42 हजार 500+5700=1लाख 48 हजार 200रुपये चुकाने होंगे।
नए टैक्स सिस्टम के अुनसार कैलकुलेशन
2.5 लाख तक कोई टैक्स नहीं
2.5 लाख से 5 लाख तक यानी 2.5 लाख का 5 प्रतिशत होगा 12500 रुपये
5 से 7.5 लाख तक का अंतर 2.5 लाख पर 10 प्रतिशत होता है 25हजार रुपये
7.5 से 10 लाख तक 2.5 लाख पर 15 प्रतिशत के हिसाब से 37 हजार 500 रुपये
10 से 12.5 लाख तक अंतर 2.5 लाख पर 20 प्रतिशत टैक्स 50 हजार रुपये
12.5 से 15 लाख तक अंतर 2.5 लाख पर 25 प्रतिशत यानी 62 हजार 500 रुपये
15 से 16 लाख तक का अंतर 1 लाख पर 30 प्रतिशत टैक्स, जो 30 हजार है
16 लाख रुपये सालाना टैक्सपेयर पर टैक्स का पहाड़ 12 हजार 500+25 हजार +37 हजार 500+50 हजार +62 हजार 500+30 हजार= 2 लाख 17हजार 500 रुपये।
4 प्रतिशत सेस यानी 8700 रुपये लगने के बाद कुल टैक्स की राशि 2 लाख 26 हजार 200 रुपये हो जाती है।
यहां से आप देख सकते हैं 16 लाख रुपये की सालाना इनकम वाले टैक्सपेयर को नये टैक्स प्रणाली के तहत 2 लाख 26 हजार 200 रुपये चुकाने पड़ेंगे।
वहीं, पुराने सिस्टम के मुताबिक डिडक्शन का लाभ लेने पर टैक्स महज 1लाख 48 हजार 200रुपये की देनदारी बनेगी। इस तरह टैक्स की नई प्रणाली अपनाने पर 78 हजार रुपये ज्यादा टैक्स चुकाना होगा।
इतने डिटेल्ड कैलकुलेशन के बाद आप अच्छे से समझ ही गए होंगे कि आपके लिए कौन सी टैक्स प्रणाली ज्यादा लाभप्रद है।
निष्कर्ष
आपकी टैक्सेबल इनकम 5 लाख से कम है या 15 लाख रुपये से ज्यादा है। दोनों टैक्स सिस्टम में टैक्स की दर भले ही समान है, इसलिए पुरानी व्यवस्था में छूट का प्रावधान होने के कारण बेहतर और लाभदायी है।
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