Income Tax : भविष्य की जरूरतों के लिए पैसों की बचत और उनका निवेश किया जाता हैं। Savings की बात आते ही आमतौर पर लोग Savings account, Fixed deposit (FD), Recurring Deposit(RD) में ही पैसा जमा करना उचित समझते हैं।
निवेश के ये सभी विकल्प परंपरागत साधनों में गिने जाते हैं। भले ही इनसे मिलने वाला ब्याज पूर्व निर्धारित या Fixed रहता है, लेकिन इन विकल्पों से मिलने वाले ब्याज या रिटर्न पर इनकम टैक्स चुकाना ही होता है।
टैक्स देना जरूरी इसलिए भी माना जाता है क्योंकि इन सेविंग्स स्कीम्स से मिलने वाला इंटरेस्ट अन्य सोर्स से इनकम (Other sources of Income) में गिना जाता है। आइए, हम जानते हैं इन Savings account Fixed deposit (FD), Recurring Deposit(RD) से होने वाली ब्याज आय पर टैक्स की गणना कैसे की जाती है…
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Savings Account और Fixed Deposit पर कैसे लगता है टैक्स
Income Tax act के Section 80TTA के अंतर्गत बैंक या कोऑपरेटिव सोसायटी या पोस्ट ऑफिस के सेविंग्स अकाउंट के मामले में 10 हजार रुपये सालाना तक की ब्याज से मिलने वाली इनकम टैक्स
फ्री है।
Income Tax की धारा का लाभ 60 साल से कम उम्र के व्यक्ति अथवा HUF (Hindu Undivided Family) को ही मिलता है। दूसरों शब्दों में, सेविंग्स अकाउंट में सालाना 10 हजार रुपये तक ब्याज से प्राप्त होने वाली आय पर कोई टैक्स नहीं देना होता।
उधर, Fixed deposit की बात करें तो Bank FD से मिलने वाले ब्याज पर TDS ( Tax deduction at source) काटा जाता है। TDS बैंक की ओर से काटा जाता हैं। वहीं, बैंक Fixed deposit से सालाना ब्याज आय 40 हजार रुपये तक की सीमा के अंदर होने पर ही TDS से छूट का प्रावधान है। हालांकि, इस रियायत का लाभ 60 साल से कम उम्र के लोगों के लिए ही है।
गौरतलब है कि पोस्ट ऑफिस के Fixed deposit से मिलने वाले ब्याज की आय पर TDS नहीं काटा जाता है। जाहिर है कि TDS कटौती के नजरिए से पोस्ट ऑफिस का Fixed deposit निवेशकों के लिए Bank FD से अधिक फायदेमंद है।
सीनियर सिटीजन्स यानी 60 साल से ज्यादा उम्र वालों को इनकम टैक्स के प्रावधानों में कुछ अधिक छूट दी गई है। सीनियर सिटीजन के सेविंग्स अकाउंट, FD और RD, पोस्ट ऑफिस स्कीम्स, कोऑपरेटिव बैंकों में जमा की गई हर तरह की धनराशि पर एक फाइनेंशियल वर्ष में हासिल होने वाला 50 हजार रुपये तक का इंटरेस्ट टैक्स फ्री है। ये सुविधा आयकर कानून के सेक्शन 80TTB के तहत दी गई है।
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Post Office Savings account से लें थोड़ा अधिक लाभ
Post Office Savings account रखने वाले लोग थोड़ी समझदारी और जागरूकता दिखाएं तो टैक्स छूट में थोड़ा अधिक लाभ ले सकते हैं।
कम लोग ही जानते है कि पोस्ट ऑफिस सेविंग्स अकाउंट में ब्याज से होने वाली इनकम पर आयकर कानून के सेक्शन 10(15) के तहत सिंगल अकाउंट होल्डर 3500 रुपये तक का अतिरिक्त डिडक्शन क्लेम कर सकते हैं।
यही नहीं, Joint Account होने पर 7000 रुपये तक का अतिरिक्त डिडक्शन क्लेम किया जा सकता है। बता दें कि अतिरिक्त छूट का प्रावधान 10 हजार और 50 हजार रुपये वाली लिमिट के अलावा है।
अब हम बैंक सेविंग्स अकाउंट और पोस्ट ऑफिस सेविंग्स अकाउंट के लाभ को टैक्स छूट के नजरिए से समझते हैं। अगर आपका बैंक में Savings account है तो सालाना केवल 10 हजार रुपये और सीनियर सिटीजन के केस में 50 हजार रुपये की ब्याज आय पर टैक्स में छूट है।
वहीं, अगर आपका Post Office में Savings account है तो सिंगल खाते पर 13 हजार 500 रुपये (जबकि सीनियर सिटीजन के लिए 53 हजार 500 रु) और Joint Account पर 17 हजार रुपये (जबकि सीनियर सिटीजन के लिए 57 हजार रुपये) तक की वार्षिक ब्याज आय टैक्स फ्री हो जाएगी।
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कैसे तय होती है आयकर छूट की सीमा
अगर किसी जमाकर्ता का बैंक, पोस्ट ऑफिस, कोऑपरेटिव बैंक और विभिन्न वित्तीय संस्थानों में एक से अधिक बचत खाते हैं। इस सूरत में सभी अकाउंट्स में कुल मिलने वाला ब्याज का जोड़ अगर 10 हजार रुपये हो तो इस ब्याज पर कोई टैक्स नहीं देना होगा।
इस तरह से 10 हजार की लिमिट की गणना होगी। अगर इन सभी खातों में 10 हजार की लिमिट से अधिक ब्याज मिल रहा हो तो इस इनकम को टैक्सेबल इनकम में जोड़ा जाएगा। तब टैक्सपेयर जिस टैक्स स्लैब में आएगा, उसके अनुरूप टैक्स देना होगा।
FD के केस में नियम थोड़ा जुदा है। FD पर TDS के केस में एक बैंक की सभी शाखाओं में जमाकर्ता के मौजूद सभी FD से होने वाली कुल ब्याज आय को जोड़कर 40 हजार रुपये सालाना तक की लिमिट की गणना की जाती है।
वहीं, Fixed deposit के मामले में नियम कुछ जुदा है। खाताधारक के एक बैंक की सभी ब्रांच में मौजूद सभी एफडी से होने वाली ब्याज इनकम को जोड़कर 40 हजार रुपये सालाना की लिमिट को गणना में शामिल किया जाता है।
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RD से ब्याज पर कैसे लगता है टैक्स
Recurring Deposit यानी RD से होने वाली ब्याज आय पर भी Tax Deduction at Source (TDS) कटता है। RD से भी एक फाइनेंशियल ईयर में 40 हजार रुपये (सीनियर सिटीजन के केस में 50 हजार रुपये) तक की ब्याज से होने वाली इनकम पर TDS नहीं लगता। बता दें कि यह नियम अप्रैल 2019 से प्रभाव में आया, लेकिन इस सीमा से ज्यादा ब्याज आय होने पर TDS कटौती की जाएगी।
Fixed deposit पर बैंक काटते हैं 10% TDS
Fixed deposit और Recurring Deposit पर ब्याज से होने वाली इनकम अगर निर्धारित छूट सीमा से ज्यादा होने पर बैंक TDS की दर 10 प्रतिशत हो जाती है। मतलब ऐसे में बैंक 10 प्रतिशत टीडीएस काटेगा। वहीं, अगर जमाकर्ता की ओर से PAN नहीं उपलब्ध कराया जाए तो TDS की दर 20 प्रतिशत हो जाती है।
यहां एक ओर अपडेट कर दें कि HDFC Bank की ओर से 14 मई 2020 से 31 मार्च 2021 तक के लिए FD से 40 हजार रुपये सालाना (सीनियर सिटीजन के मामले में 50 हजार रुपये) से अधिक की ब्याज आय पर TDS की दर घटाकर 7.5 प्रतिशत किया गया है। हालांकि, PAN का ब्योरा नहीं देने पर TDS की दर 20 प्रतिशत ही रहेगी।
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टैक्स दायरे में ब्याज आय नहीं आने पर नहीं कटेगा टीडीएस
अगर आपकी FD या RD से सालाना ब्याज आय 40000 अथवा 50000 रु से अधिक है, लेकिन कुल सालाना ब्याज आय मिलाकर उस सीमा तक नहीं है, जहां उस पर टैक्स लगे तो बैंक TDS नहीं काट सकते। बैंक TDS डिडक्शन नहीं करें। इसके लिए सीनियर सिटीजन को बैंक में फॉर्म 15H जमा करना जरूरती होता है।
वहीं जो वे सामान्य लोग सीनियर सिटीजन नहीं हैं, उन्हें फॉर्म 15G जमा करना जरूरती होता है। ये फॉर्म इस घोषणा के लिए हैं कि व्यक्ति की सालाना आय एक फाइनेंशियल इयर में तय न्यूनतम एग्जेंप्ट इनकम से ज्यादा नहीं है। टैक्स से बचने के लिए इस फॉर्म को हर साल फाइनेंशियल इयर की शुरुआत में जमाकर्ता को सबमिट करना होता है।
मुझे उम्मीद ही नहीं, पूरा भरोसा है कि आपको “Income Tax : Savings account, FD और RD के ब्याज पर टैक्स कैसे लगता है? जानें सबकुछ “ लेख जरूर पसंद आया होगा।