Health Insurance Scheme लेना बिलकुल जरूरी नहीं है, यह एक प्रचलित मिथक है। कुछ ऐसी ही सोच रखते हैं पुणे में रहने वाले 30 साल के राहुल। वो एक मल्टीनेशलन आईटी कंपनी में साफ्टवेयर इंजीनियर हैं। शादीशुदा हैं और दो बच्चों के पिता हैं।
सवाल करते हैं कि मैं जवान हूं, हाई सैलरीड नौकरीपेशा हूं और स्वस्थ हूं। मेरी फैमिली भी फिट एंड फाइन है तो मैं खुद और अपने परिवार के लिए हेल्थ पालिसी क्यों लूं? जब मैं बीमार ही नहीं पड़ूंगा तो मैं Health Insurance Scheme क्यों खरीदूं?
हर कोई जानता है कि बीमारी कभी किसी को बताकर नहीं आती। कोई इतने विश्वास से कैसे कह सकता है कि इलाज के लिए उसे कभी अस्पताल नहीं जाना होगा? शायद ही ऐसा कोई हो?
ऐसे ही कई मिथक हैं जिनकी वजह से लोग Health Insurance Scheme लेने में कतराते हैं। आंकड़े बताते है कि भारत में केवल 9 प्रतिशत लोगों के पास ही हेल्थ पॉलिसी है। हमें और आपको health insurance क्यों लेना चाहिए? इस लेख में हम उन कारणों की विस्तार में चर्चा करेंगे। यहां हम बात करेंगे कि वे क्या चीजें हैं जो हमें health insurance लेने से रोकती हैं।
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क्यों लें Health Insurance Scheme
आइए सबसे पहले कुछ तथ्यों पर गौर करें–
- हार्ट संबंधी रोगों से पीड़ित होने वालों में दुनिया की कुल आबादी का लगभग 60 प्रतिशत लोग भारतीय हैं
- 30 प्रतिशत रोग 40 साल की उम्र से पहले ही शरीर में घर करने लगते हैं
- एक अनुमान के अनुसार भारत में साल 2025 तक डायबिटीज के 6 करोड़ 60 लाख मरीज होंगे।
- कैंसर रोगियों की संख्या हर साल तेजी से बढ़ रही है।
- हिप और सर्जरियों में लगातार इजाफा हो रहा है।
- हर मिनट पर देश में हो रही सड़क दुर्घनाओं में लोग जान गवां रहे हैं
- जीवनशैली और खान-पान की खराब आदतें लोगों को बीमार बना रही है। वहीं, वातावरण में बढ़ता प्रदूषण और व्यायाम का अभाव लोगों की उम्र कम कर का रहा है।
भले ही हमने आपको ऊपर सभी वो पर्याप्त तथ्य बताएं हैं, जो health insurance लेने के लिए जरूरी हैं। फिर भी आपके लिए हेल्थ पॉलिसी जरूरी है या नहीं इसका विचार करने के लिए हम यहां कुछ सवाल-जवाब पेश कर रहे हैं। इन पर गहराई से सोचने–विचारने के बाद ही आप कोई फैसला अपने हित में लें।
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कितनों की मौत अस्पताल में नहीं घरों में होती हैं?
सवाल- ज्यादातर लोगों की मौत अस्पताल में इलाज के दौरान होती हैं। ऐसे लोगों कि कितनी तादाद है जिन्हें मौत के पहले अस्पताल में भर्ती न कराया गया हो?
जवाब – बेहद कम। इसलिए अस्पताल के महंगे इलाज के आपातकालीन खर्च का इंतजाम हेल्थ पॉलिसी से ही संभव है।
प्राइवेटकर्मी को गंभीर रोग हो जाए तब?
सवाल- अगर प्राइवेट नौकरीपेशा कर्मचारी किसी गंभीर रोग की चपेट में आ जाए? तो क्या होगा?
जवाब- देश के ज्यादातर युवा प्राइवेट या कार्पोरेट कंपनियों में नौकरी करते हैं। इन दफ्तरों में बेहद कार्य कुशल और सेहतमंद कर्मचारियों को ही रखा जाता है।
अगर किन्हीं कारणों से प्राइवेट नौकरीपेशा युवा बीमार हो जाए तो इससे कंपनी के कामकाज पर असर पड़ने लगता है। नतीजतन नौकरी जाने का खतरा मंडराने लगता है। खराब सेहत की वजह से उस कर्मचारी की नौकरी जा सकती है।
पॉजिटिव हालत में ये हो सकता है कि कंपनी ने अपने कर्मचारी का ग्रुप इंश्योरेंस करवा रखा हो और इससे इलाज हो जाए। लेकिन, तब क्या होगा जब मंदी या कोरोना काल जैसी आपदा के वक्त कर्मचारी को छंटनी का शिकार होना पड़ जाए। क्या तब उसके पास कोई हेल्थ कवर होगा ? जवाब “नहीं” में है।
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क्या रिटायरमेंट तक है सेहतमंद रहने की गारंटी?
सवाल- क्या रिटायरमेंट होने तक नौकरीपेशा कर्मचारी इतना सेहतमंद रहेगा कि उसे आसानी से नई हेल्थ पॉलिसी मिल जाए?
जवाब – शायद नहीं। रिटायरमेंट के बाद कोई हेल्थ पालिसी न होने पर उसे गंभीर रोगों के इलाज का खर्च अपनी जमा पूंजी से करना पड़ेगा।?
सवाल- क्या रिटायरमेंट के बाद उसे हेल्थ पॉलिसी की जरूरत नहीं होगी?
जवाब- बिल्कुल जरूरत रहेगी।
जटिल रोग होने पर क्या मिलेगी हेल्थ पालिसी?
सवाल- डायबिटीज, कैंसर और दिल के रोगों से पीड़ित ऐसे कितने लोग हैं जिन्हें बीमारी का पता चलने पर हेल्थ पॉलिसी इश्यू हुई हो?
जवाब- बहुत कम या बिल्कुल नहीं।
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क्या एक्सीडेंट नहीं होने की गारंटी है?
सवाल– आप बेहतरीन कार चालक या बाइक चालक हो सकते हैं। लेकिन क्या आप इसकी गारंटी दे सकते हैं कि आप कभी वाहन दुर्घटना का शिकार नहीं होंगे?
जवाब- नहीं दे सकते गारंटी। इस बिन्दु पर जरा विचार करें।
क्या कोविड 19 के बाद कोई महामारी नहीं आएगी?
सवाल- क्या कोराना या COVID-19 दुनिया की पहली और आखिरी महामारी है?
जवाब– नहीं। इससे पहले सार्स, एचआईवी एड्स, प्लेग, डायरिया, डेंगू जैसी महामारियों-बीमारियों से लोगों ने जानें गंवाईं हैं।
इतनी चीजों के बारे में गहराई से विचारने के बाद अब राहुल ने हेल्थ पॉलिसी लेने की हामी भर दी।
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राहुल मान गए कि हां, एक कॉम्प्रिहेंसिव हेल्थ इंश्योरेंस पालिसी लेना पूरे परिवार के लिए बहुत जरूरी है। लेकिन, तभी उसके दिमाग में एक केमिकल लोचा आता है। आमतौर पर comprehensive health insurance plan में एक कपल और दो बच्चों के परिवार का प्रीमियम करीब 15 हजार रुपये आता है।
ऐसा सुनते ही राहुल कहते हैं कि पॉलिसी का प्रीमियम बहुत ज्यादा है। महंगा है। मेरे पास पैसे नहीं है। जब दीवाली का बोनस आएगा या सैलरी इन्क्रीमेंट होगा तब मैं हेल्थ पॉलिसी लूंगा।
राहुल पॉलिसी खरीद को भविष्य में postpone करना चाहते हैं। लेकिन, क्या राहुल बीमारी और अचानक होने वाली दुर्घटनाओं को पोस्टपोन कर सकते हैं? यहां भी जवाब “नहीं” में है।
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अब भी केमिकल लोचा हो तो…
इतनी ढेर सारी जानकारियों और जरूरतों को बताने के बाद अगर आप राहुल की तरह सोचते हैं कि मुझे हेल्थ पॉलिसी की क्या जरूरत है? मुझे किसी पर भरोसा नहीं हैं? मेरे पास पैसे नहीं हैं। मुझे कोई जल्दी नहीं है और मुझे हेल्थ पॉलिसी की कोई जानकारी भी नहीं है।
तो आप Point of sale Person (पीओएसपी) या फाइनेंशियल एडवाइजर से संपर्क करें। आप मुझसे वाट्सएप चैट के जरिए भी जानकारी ले सकते हैं।
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