Health Insurance premium : अगले महीने यानी अक्टूबर से हेल्थ इंश्योरेंस प्लान्स के प्रीमियम में 5 से 20 प्रतिशत का इजाफा हो सकता है।
पिछले साल इंश्यारेंस रेगुलेटरी एंड डेवलपेंट अथॉरिटी ऑफ इंडिया (IRDA) ने हेल्थ इंश्योरेंस कंपनियों को पॉलिसी में इनोवेटिव फीचर्स जोड़ने को कहा था। ताकि पॉलिसी सिर्फ कवरेज पर ही आधारित न रहे। बल्कि, ये पॉलिसी धारक के हितों के ज्यादा अनूकूल हो।
वैश्विक महामारी कोविड 19 ने कुछ हद तक लोगों को हेल्थ इंश्योरेंस प्लान्स लेने के प्रति जागरूक बना दिया है। बावजूद इसके भारत में नॉन लाइफ यानी हेल्थ इंश्यारेंस लेने वालों की तादाद महज 19 प्रतिशत ही है।
ये आंकड़े 2019 के हैं, जो इंश्यारेंस रेगुलेटरी एंड डेवलपेंट अथॉरिटी ऑफ इंडिया ने जारी किए थे। आईआरडीए ने हेल्थ पॉलिसी की कम बिक्री के पीछे लोगों में प्रॉडक्ट के प्रति कम विश्वसनीयता का होना बताया है।
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विश्वसनीय सूत्रों के अनुसार, आईआरडीए अब इस गैप को खत्म करने की जुगत में हैं। रेगुलेटर हेल्थ इंश्योरेंस प्लान्स में कुछ उपयोगी फीचर्स के साथ बदलाव लाने जा रहा है, ताकि लोगों को हेल्थ पॉलिसी की अनिवार्यता को समझाया जा सके।
साथ ही उन्हें नॉन लाइन प्रॉडक्ट खरीदने के लिए प्रेरित किया जा सके। ज्यादा फीचर्स के साथ आने वाली Health Insurance premium पहले के मुकाबले ज्यादा चुकाना पड़ सकता है।
क्यों होगी प्रीमियम में बढ़ोतरी?
इंश्यारेंस इंडस्ट्रीज के एक्सपर्ट बताते हैं कि जिस तरह से लाइफ इंश्योरेंस पॉलिसी का प्रीमियत अमूमन फिक्स ही रहता है। इनकी दरों में जल्दी बदलाव नहीं होता, लेकिन अस्पताल के खर्चों में होने वाली बढ़ोतरी और महंगे होते इलाज का असर हेल्थ पॉलिसी के प्रीमियम पर जरूर पड़ता है।
पिछले साल ही इरडाई Irdai ने हेल्थ इंश्योरेंस कंपनियों को आदेश दिया था कि वे पॉलिसी में उन शर्तों को हटाएं, जिनके तहत पॉलिसीधारकों को कवर नहीं मिलता हैं।
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रेगुलेटर ने उन exclusions की सूची बनाई हैं जिन्हें हेल्थ पॉलिसी में कवर नहीं किए जाने का प्रावधान रखे जाने की बात कही गई है। यानी संशोधित प्रावधानों में दुर्घटनाओं और यात्रा के दौरान होने वाले हादसों में दिए जाने वाले कवर को नई हेल्थ पॉलिसी से अलग रखा जा सकता है।
इरडाई ने आदेश दिया है कि मानसिक रोगों, अवसाद, तनाव जैसे मनोवैज्ञानिक और न्यूरोडिजनरेटिव डिस्आर्डर को भी नई पालिसी में कवर किया जाए।
कुछ एक्सपर्टस का मानना हैं कि हेल्थ पॉलिसीज के सापेक्ष क्लेम भुगतान के दावों की संख्या यदि अधिक है तो प्रीमियम में बढ़ोतरी होने की संभावना ज्यादा होगी। उनका कहना है कि पालिसी धारकों के लिए खुशखबरी से कम नहीं है, क्योंकि exclusions कमी होने से क्लेम के भुगतानों का आसानी से निपटारा होगा। लेकिन इन सुविधाओं के एवज में पॉलिसीधारकों को पहले के मुकाबले ज्यादा प्रीमियम चुकाना पड़ सकता है।
पॉलिसी प्रीमियम बढ़ें तो क्या करें?
अगर अनुमान के मुताबिक health policy premium में बढ़ोतरी होनेे पर क्या करें?
इसके लिए आपको हेल्थ पॉलिसी के बेस प्लान के साथ टॉप अप प्लान भी लेना चाहिए। टॉप अप प्लान बेस प्लान से काफी सस्ते होते हैं। टॉप अप प्लान्स उन हेल्थ पॉलिसियों में बेहद कारगर होते हैं जिनमें ज्यादा सम एश्योर्ड की जरूरत होती है।
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जैसे– परिवार के चार सदस्यों के लिए 5 लाख का बेस हेल्थ बीमा लिया गया है तो उस पर मामूली प्रीमियम चुकाकर 5 लाख का टॉप अप किया जा सकता है। इस तरह कुल सम एश्योर्ड 10 लाख रुपये हो जाएगा।
कुछ विशेषज्ञों का कहना है कि भले ही हेल्थ पॉलिसी का प्रीमियम महंगा हो जाए, लेकिन इसकी उपयोगिता और फायदे पहले के मुकाबले ज्यादा होंगे।
आपको यह भी बता दें कि जरूरी नहीं है कि सभी कंपनियां Health Insurance premium में इजाफा कर ही दें। कुछ बीमा कंपनियां अपने पुराने पॉलिसी धारकों में इसमें रियायत भी दे सकती है। इसलिए हेल्थ पॉलिसी लेने में देर न करें।
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