पीएफ (प्रॉविडेंट फंड) में 2.5 लाख रुपये से ज्यादा जमा करने पर नौकरीपेशा कर्मचारी को टैक्स देना होगा। भविष्य निधि में यह राशि हर महीने 20,833 रुपये जमा करने पर टैक्स के दायरे में आ जाएगी।
बजट 2021 में इनकम टैक्स स्लैब में बदलाव नहीं किए जाने से फैली निराशा और बढ़ गई। केंद्रीय बजट में पीएफ पर टैक्स का प्रस्ताव लाकर हाई सैलरीड क्लास को भी बड़ा झटका दिया गया है।
फाइनेंस मिनिस्टर निर्मला सीतारमण ने दिए प्रस्ताव में कहा कि एक फाइनेंशियल इयर में पीएफ में कुल जमा राशि 2.5 लाख से अधिक होने पर कमाये गए ब्याज पर टैक्स लगेगा। टैक्स की दर उस व्यक्ति के टैक्स स्लैब पर निर्भर करेगी।
वित्त मंत्री के इस कदम से मोटी सैलरी पाने वालों का नुकसान होगा। चूंकि मोटी सैलरी पाने वाले लोग टैक्स फ्री ब्याज कमाने के लिए पीएफ और वॉलेंटरी प्रॉविडेंट फंड में ज्यादा कंट्रीब्यूशन करते हैं। इसलिए निवेश के इस रास्ते को टैक्स के दायरे में लाया गया है।
2.5 लाख सालाना से ज्यादा के यूलिप प्रीमियम पर भी टैक्स
ULIP (Unit Linked Insurance Policy) के तहत 1 फरवरी 2021 के बाद खरीदी गईं इंश्योरेंस पालिसी की मैच्योरिटी पर कैपिटल गैन्स के सेक्शन 45 (बी1) के अनुसार टैक्स लगेगा। बशर्ते प्रीमियम की राशि ढाई लाख रुपये से ज्यादा हो।
नये प्रावधानों के तहत नई यूलिप की मैच्योरिटी इनकम पर इक्विटी म्यूचुअल फंड्स की तरह ही कैपिटल गेन्स टैक्स लगेगा। लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन्स टैक्स की मौजूदा दर 10 प्रतिशत है।
यूनियन बजट 2021 के इस प्रस्ताव के बाद अब यूलिप प्लान पर मिलने वाला टैक्स फ्री मैच्योरिटी का लाभ खत्म हो गया है। हालांकि 1 फरवरी से पहले के यूलिप प्लान पर टैक्स फ्री मैच्योरिटी बेनेफिट का लाभ ही मिलेगा।
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2.5 लाख से कम प्रीमियम वाली यूलिप प्लान टैैैैक्स फ्री
यूलिप इंश्योरेंस और इन्वेस्टमेंट के मिला जुला रूप है। इनमें इन्व्ेस्टमेंट म्यूचुअल फंड्स में यूनिट्स खरीदकर किया जाता है। फंड के कुछ हिस्सा इंश्योरेंस कवर देने में खर्च होता है।
यूलिप को इंश्योरेंस प्रॉडक्ट की कैटेगरी में दिए जा रहे टैक्स सेक्शन 10(10D) की छूट का लाभ दिया जा रहा था। अब सेक्शन 10(10D) ढाई लाख से कम प्रीमियम वाली यूलिप प्लान पर ही लागू होगा।
यूलिप को टैक्स दायरे में लाना बड़े निवेशकों को झटका देने जैसा है। लेकिन छोटे निवेशकों के लिए बजट 2021 का यह प्रस्ताव यूलिप को अब भी फायदेमंद साबित कर रहा है।
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ईपीएफ पर टैक्स का पहले भी हुआ था विरोध
यह पहली बार नहीं हुआ है जब केंद्र सरकार ने पीएफ के पैसों पर टैक्स लगाने का प्रस्ताव किया है। इससे पहले साल 2016 के बजट में सरकार ने ईपीएफ में जमा के 60 प्रतिशत ब्याज पर टैक्स लगाने का प्रस्ताव किया था।
लेकिन भारी विरोध के चलते केंद्र को अपने कदम वापस खींचने पड़े थे। अब की बार पीएफ के प्रस्ताव पर किसी विरोध की गुंजाइश नहीं के बराबर ही है।
इसकी एक वजह ये हैं कि नये कदम से सिर्फ बहुत ज्यादा वेतन पाने वाले कर्मचारियों पर ही असर पड़ेगा। 2.5 लाख रुपये की सालाना सीमा का मतलब है कि कोई व्यक्ति पीएफ में टैक्स बचत के लिए हर महीने 20 हजार 833 रुपये जमा करता हो।
इसके लिए व्यक्ति की बेसिक सैलरी 1.73 लाख रुपये तक होना जरूरी है। वहीं, एक अप्रैल से लागू हो रहे नए वेज कोड में कहा गया है कि बेसिक सैलरी को व्यक्ति की कुल इनकम का न्यूनतम 50 प्रतिशत होना चाहिए।
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